#शास्त्रीय संस्कृति
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sanatanpragati12 · 2 years ago
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सपने में सीढ़ी देखने का मतलब - Sapne Mein Sidhi Dekhna
सीढ़ी का स्वप्न फल शुभ या अशुभ !
आप सभी को नमस्कार! आज हम आपको सपने में सीढ़ी देखने के मतलब के बारे में बताने जा रहे हैं। सपनों की दुनिया में सीढ़ी के सपने के मतलब को जानने के लिए आपको इस लेख को ध्यान से पढ़ना चाहिए। इसके अलावा, हम आपको सीढ़ी चढ़ने और उतरने, छोटी या लंबी सीढ़ी के सपनों के बारे में भी बताएंगे। इससे आप अपने सपनों को समझ सकते हैं और उनसे संबंधित उचित निर्णय ले सकते हैं।दोस्तों, हर व्यक्ति के सपने उनकी खुशियों और…
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helputrust · 1 year ago
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नई दिल्ली, दिनांक 24.06.2023 | सिरी फोर्ट ऑडिटोरियम में, दीवान-ए-खास के तत्वाधान से आयोजित दास्तान-ए-गजल इंडिया टूर 2023 कार्यक्रम में प्रख्यात गजल गायिका प्रतिभा सिंह बघेल और उनकी टीम ने गजलों की शानदार प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया | दीवान-ए-खास के प्रमुख श्री आशीष श्रीवास्तव के निमंत्रण पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल ने इस अद्भुत कार्यक्रम में भाग लिया |
कहना उचित होगा कि सांस्कृतिक आयोजन दास्तान-ए-गजल देश की संस्कृति को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है |
इस अवसर पर हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल की श्रीमती प्रतिभा सिंह बघेल की माता जी श्रीमती सीमा सिंह, श्रीमती प्रतिभा सिंह बघेल, भारतीय शास्त्रीय और फ़्यूज़न संगीतकार श्री दीपक पंडित और दीवान-ए-खास के प्रमुख श्री आशीष श्रीवास्तव से शिष्टाचार भेट हुई |
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mewaruniversity · 2 months ago
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भरतनाट्यम की प्रस्तुति देख अभिभूत हुए विद्यार्थी ✡️|| मेवाड़ विश्वविद्यालय में स्पिक मैके प्रोग्राम के तहत नृत्यांगना विदुषी शिवार��जनी हरीश ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी।🪷
स्पिक मैके के तत्वाधान में आयोजित भरतनाट्यम की कार्यशाला के तहत बुधवार को मेवाड़ विश्वविद्यालय में प्रसिद्ध कलाकार शिवारंजनी हरीश ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम में प्रसिद्ध नृत्यांगना ने अपने चेहरे के हाव-भाव, उत्कृष्ट हस्त मुद्राएं, लयबद्ध पदचाप की सुंदर गतियों सेे भरतनाट्यम नृत्य शैली को बखूबी प्रस्तुत कर, वहां मौजूद सभी दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर खूब तालियां बटोरी। कार्यक्रम की शुरुआत में कुलपति प्रो. (डॉ.) आलोक मिश्रा ने नृत्यांगना शिवारंजनी हरीश को दुशाला और चित्रकला विभाग द्वारा बनी फड पेंटिंग भेटकर स्वागत किया। उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय नृत्य भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति है। इसलिए युवाओं को अपनी संस्कृति विरासत को संजोने का कार्य करना चाहिए। इसके बाद नृत्यांगना शिवारंजनी हरीश ने कार्यक्रम की शुरुआत पुष्पांजलि और भूमि प्रणाम से की। इसके बाद उन्होंने नृत्य के माध्यम से विद्यार्थियों को भरतनाट्यम की उत्पत्ति, आठ शास्त्रीय नृत्य क्यों अलग है और इनकी क्या महत्ता है को बताया। नृत्य में किस प्रकार खड़ा हुआ जाता है, अरमांडी और अर्धमंडल क्या होती है, आदि अन्य मुद्राओं के बारें मे भी बखूबी बताया। तुलसीदास कृत श्लोकी रामायण में राम जन्म व कैकेयी-मंथरा संवाद, राम वनवास, सीता हरण, मारीच वध, सुग्रीव वध, हनुमान मिलन, जटायु संवाद, हनुमान-सीता संवाद, राम-रावण युद्ध और राम का राज्याभिषेक प्रसंगों पर अभिनय किया, जिसे देखकर दर्शक अभिभूत हो गए। कार्यक्रम में स्पिक मैके के पूर्व चेयरपर्सन जे. पी. भटनागर ने स्पिक मैके का इतिहास व कला के बारे में बताया। कला और संस्कृति विभाग की महानिदेशिका प्रो. (डॉ.) चित्रलेखा सिंह ने अपने स्वागत उद्बोधन में बताया कि भरतनाटयम भारत में सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन नृत्य शैलियों में से एक है। इससे शरीर में लचीलापन और संतुलन दोनों बना रहता है। मुख्य अतिथि कुलपति की पत्नी सुजाता मिश्रा ने कार्यक्रम की काफी प्रशंसा की। यह कार्यक्रम विशेष तौर पर विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहने वाले विद्यार्थियों और आवासीय शिक्षक और उनके परिवार के लिए आयोजित किया गया थ��। कार्यक्रम का संचालन अनुराधा कुमारी ने किया। जानकारी के मुताबिक शिवारंजनी हरीश कर्नाटक सरकार द्वारा युवा प्रतिभा व आर्यभट्ट अवार्ड और नृत श्री टाइटल भी प्राप्त कर चुकी है।
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ykpurohit · 8 days ago
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Dear sir..
Good morning
You are looking very attractive on set of KBC in your colourful dress .
Thanks you share this great movement with us ..
Here I lived. Busy in home for some art and writing work . Culture promoter folk art master Gopal Bissa Bikaner told to me for write a note on Matheran painting so I wrote a short hindi note on Matheran painting of Bikaner or that's painter sir Moolchand Mahatma ji . Master Gopal Bissa was updated a reel with my note ..
मित्रों बीकानेर शहर राजस्थान में सांस्कृतिक धरोहर को संजोने, संग्रक्षित और पल्वित करने वाले शहर के रूप में अपनी एक खास पहचान सांस्कृतिक मूल्यों को स्थापित करने वाले हिंदुस्तान के प्रमुख शहरों की सूचि में रखता है ! सांस्कृतिक मूल्य लोक संस्कृति की कला , लोक परिवेश, लोक जीवन में स्पष्ट रूप से देखा और पहचाना जा सकता है ! यहाँ के लोक जीवन में लोक संस्कृति रची बसी है अब वो खाने की पाक कला में हो या जीवन जीने की शैली में या फिर यहाँ की लोक कला में !
आज मैं आप के साथ बीकानेर की लोक कला के चित्रकार श्री मूलचंद महात्मा जी की लोक कला को साझा कर रहा हूँ आप देखेंगे की किस प्रकार एक लोक चित्रकार "मथेरण कला" बीकानेर जो की बीकानेर के स्थापना से भी 30 वर्ष पहले बीकानेर के भांडासर जैन मंदिर के साथ बीकानेर में सिल्क रुट के अंतराष्ट्रीय व्यापार मार्ग पर स्थापित हुई और आज तक मथेरण कला के लोक कलाकार इस लोक चित्रकला या शास्त्रीय लोक कला को जीवित रखे हुए है ! और उसमे से एक है वरिष्ठ चित्रकार श्री मूलचंद महात्मा मथेरी ! आप विगत 45 वर्षों से मथेरण चित्रकला से बीकानेर की लोक संस्कृति में शास्त्रीय लोक चित्रकला ( जैन कला का अंश परिवर्तित रूप लोक चित्रकला ) को जीवित रखे हुए है और समकालीन समय में समाज को मथेरण कला से जोड़े हुए है ! आप की लोक चित्रकला मथेरण चित्रकारी हिन्दू संस्कृति के लोक जीवन में धार्मिक अनुष्ठान , जन्म ,विवाह और देवलोक गमन के समय बन ने वाले लोक चित्रण के साथ तीज त्यौहारों ,मेलों उत्सवों के साथ बीकानेर के पौराणिक मंदिरों में भी आप चित्रकारी समय समय पर करते रहे है ! वर्तमान में आप ने माथेरान कला के कला विद्यार्थी भी बनाये है एक कला कार्यशाला के तहत , जिसे आयोजिय और प्रायोजित किया था उद���पुर की वेस्ट जोन कल्चर सेण्टर ने !आज बीकानेर में मथेरी परिवार के अतिरिक्त अन्य कला विद्यार्थी भी मथेरण कला की चित्रकारी का कार्य श्री मूलचंद महात्मा जी के मार्ग दर्शन में बीकानेर में कर रहे है ! आप की लोक चित्रण और पारम्परिक कला मथेरण कला के लिए जो प्रतिबद्धता है उसके लिए आपको साधुवाद ज्ञापित करता हूँ !
That's link is this ..
You have a great day sir
Warm regards
Yogendra Kumar Purohit
Master of fine arts
Bikaner, India
DAY 6106
Jalsa, Mumbai Nov 6, 2024/Nov 7 Wed/Thu 1:55 am
🪔 ,
November 7 .. birthday greetings to Ef Rajib Mitra from Kolkata .. Ef Gyanchand Garhwani from Wardha .. Ef Zabih'u Allah .. Ef Karan Joyson Crasta .. and Ef Navneet , the Barodian from the Khushboo of Gujarat .. 🙏🏽❤️🚩🌿
.. ✨
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.. the hoodie that I designed .. through MACMERISE ..
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... and a bit of colour .. for the KBC jr .. and such a delight to be in their company .. their knowledge their confidence and their outlook and vision .. simply unbelievable ..
impressed beyond all ..
and then at the end of the episode the picture option with the audience .. filled with emotion and gratitude for their reactions and comments .. I am undeserving of such, but it comes with heart and love and I accept it with folded hands ..
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.. and with folded hands do escape into the night for the well needed slumber ..
😴
be well and be in happiness ..
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Amitabh Bachchan
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southindianastrologer · 8 months ago
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अदभुत बिल्व पत्रों का रहस्य
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अखंड बेल पत्र: शास्त्रीय गुणों से भरपूर बिल्व पत्रों का अद्भुत रहस्य
भारत में बिल्व वृक्ष (एगल मार्मेलोस) को पवित्र और शुभ माना जाता है। इसके पत्रों, फूलों और फलों का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। विशेषकर अखंड बेल पत्र को लेकर शास्त्रों में गहरी मान्यताएं हैं।
अखंड बेल पत्र शब्द का अर्थ है ऐसा बिल्व का पत्ता जिसके दोनों सिरों पर दांती न हों और जो एक ही संपूर्ण टुकड़े में हो। शास्त्रकारों के अनुसार, ऐसे अखंड बेल पत्र अदभुत शक्तियों से संपन्न होते हैं।
आइए जानते हैं अखंड बेल पत्र के बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
प्राचीन ग्रंथों में बिल्व वृक्ष और इसके पत्रों को शक्ति का स्रोत बताया गया है। यही वजह है कि अखंड बेल पत्रों को इतना महत्व दिया गया है। आज भी लोग इनका सम्मान और आदर से उपयोग करते हैं।
हालांकि इन मान्यताओं को वैज्ञानिक रूप से सिद्ध करना संभव नहीं है, लेकिन आस्था और विश्वास से इनका महत्व अनिर्वचनीय है। अखंड बेल पत्र एक ऐसा रहस्य है जिसका संबंध भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं से गहरा रूप से जुड़ा हुआ है। Read More
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currenthunt · 9 months ago
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मेरा गाँव मेरी धरोहर
भारत सरकार ने मेरा गाँव मेरी धरोहर (Mera Gaon, Meri Dharohar - MGMD) कार्यक्रम के तहत सभी गाँवों का मानचित्रण और दस्तावेज़ीकरण करने का निर्णय लिया है।इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय गाँवों के जीवन, इतिहास और लोकाचार की विस्तृत जानकारी संकलित करना तथा इसे आभासी तथा वास्तविक समय के आगंतुकों (visitors) के लिये उपलब्ध कराना है। संस्कृति मंत्रालय ने 'मेरा गांव, मेरी धरोहर' (एमजीएमडी) कार्यक्रम के तहत सभी गांवों की मैपिंग और प्रलेखन तैयार कर रहा है. संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र (आईजीएनसीए) के समन्वय से सांस्कृतिक मैपिंग पर राष्ट्रीय मिशन चलाया जा रहा है. 27 जुलाई, 2023 को एमजीएमडी पर एक वेब पोर्टल भी लॉन्च किया गया था. MGMD कार्यक्रम भारतीय गाँवों के जीवन, इतिहास तथा लोकाचार की विस्तृत जानकारी संकलित करने एवं इसे आभासी व वास्तविक समय के आगंतुकों के लिये उपलब्ध कराने का प्रयास करता है। MGMD के तहत, सात व्यापक श्रेणियों के तहत जानकारी एकत्र की जाती है - कला एवं शिल्प गाँव - पारिस्थितिकीय दृष्टि से उन्मुख गाँव - भारत की पाठ्य एवं शास्त्रीय परंपराओं से जुड़ा स्कोलास्टिक गाँव - रामायण, महाभारत और/या पौराणिक कथाओं तथा मौखिक महाकाव्यों से जुड़ा महाकाव्य गाँव - स्थानीय और राष्ट्रीय इतिहास से जुड़ा ऐतिहासिक गाँव - वास्तुकला विरासत गाँव - कोई अन्य विशेषता जिसे उजागर करने की आवश्यकता हो जैसे मछली पकड़ने वाला गाँव, बागवानी गाँव, चरवाहा गाँव आदि। MGMD राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन (National Mission on Cultural Mapping - NMCM) का एक घटक है, जिसे आजादी का अमृत महोत्सव के एक भाग के रूप में शुरू किया गया है।MGMD के तहत 6.5 लाख गाँवों का सांस्कृतिक मानचित्रण किया जा रहा है और 2 लाख से अधिक गाँवों का मानचित्रण पहले ही किया जा चुका है तथा मिशन पोर्टल पर अपलोड किया जा चुका है जो राष्ट्रीय सांस्कृतिक कार्यस्थल के रूप में कार्य करता है। राष्ट्रीय सांस्कृतिक मानचित्रण मिशन - संस्कृति मंत्रालय ने भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को पुनर्जीवित करने एवं ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने में इसकी रचनात्मक क्षमता की पहचान करने व प्रलेखीकरण करने के लिये NMCM की स्थापना की। सांस्कृतिक मानचित्रण तीन स्तरों पर कार्य करता है - कलाकारों की राष्ट्रीय निर्देशिकाएँ तथा सांस्कृतिक क्षेत्र से संबंधित लोग। - कला अभिव्यक्ति तथा कलाकार समुदायों/परंपरा के वाहकों की राष्ट्रीय डिजिटल सूची/रजिस्टर का निर्माण। - कला प्रथाओं के संरक्षण के लिये नीतियाँ विकसित करना और साथ ही उनके अभ्यासकर्त्ताओं के लिये कल्याणकारी योजनाओं का कार्यान्वन करना। मिशन अधिदेश - व्यापक थल सर्वेक्षणों तथा प्रलेखीकरण की सहायता से सांस्कृतिक मानचित्रण के माध्यम से एक राष्ट्रीय डेटाबेस तैयार करना। - भावी पीढ़ियों के लिये इस देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित, सुरक्षित, पुनर्जीवित तथा प्रसारित करना। - डिजिटल प्लेटफॉर्म तथा लोकसंपर्क गतिविधियों का माध्यम से पूरे देश में एक सुदृढ़ "सांस्कृतिक जीवंतता" का परिवेश विकसित करना। कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता की योजना - यह एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसका उद्देश्य देश में विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों तथा संगठनों का समर्थन करना है। इस योजना में 8 घटक शामिल हैं तथा प्रत्येक का एक अलग उद्देश्य एवं वित्तपोषण आवंटन है। - कला और संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु वित्तीय सहायता की योजना में निम्नलखित 8 घटक शामिल हैं: - राष्ट्रीय उपस्थिति वाले सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता: - कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिये राष्ट्रीय उपस्थिति वाले प्रतिष्ठित सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करना। - यह अनुदान ऐसे संगठनों को प्रदान किया जाता है जो अखिल भारतीय गुणों के साथ भारत में पंजीकृत उचित रूप से गठित प्रबंध निकाय हैं तथा जिनके पास पर्याप्त कार्य बल है एवं सांस्कृतिक गतिविधियों हेतु विगत 5 वर्षों में से किन्हीं 3 वर्षों के दौरान 1 करोड़ रुपए अथवा उससे अधिक की राशि का व्यय करने का ट्रैक रिकॉर्ड है। - अधिकतम अनुदान: 1 करोड़ रुपए। Read the full article
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shabdforwriting · 9 months ago
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ज्योतिष वाटिका by आचार्या कीर्ति शर्मा
किताब के बारे में... यह पुस्तक धार्मिक आध्यात्मिक विषयो और ज्योतिष ज्ञान के बारे में है। जिसमे विभिन्न ग्रन्थों में दी गई जानकारी को संक्षेप रूप में जन जन तक पहुंचाने का प्रयास किया गया है। वर्तमान समय मे सनातन संस्कृति के बारे में बहुत अधिक झूठा प्रचार प्रसार ज्योतिष और अध्यात्म के बारे मे हो रहा है ऐसे समय मे ये पुस्तक समाज मे आने से इसके पाठकों को ज्योतिष और धर्म संस्कृति के बारे में शास्त्रीय ज्ञान प्राप्त हो सकेगा ऐसा मेरा मानना है।
यदि आप इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लिंक से इस पुस्तक को पढ़ें या नीचे दिए गए दूसरे लिंक से हमारी वेबसाइट पर जाएँ!
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bhagirathisandesh · 11 months ago
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वैदिक ज्ञान को अपनाते हुए: जीवन में यज्ञ, दान और तप का महत्त्व
शास्त्रीय संस्कृति में जीवन के महत्वपूर्ण पथक के रूप में यज्ञ, दान और तप का महत्व अत्यंत उच्च माना जाता है। यह पवित्र अद्भुत संदेश, भागीरथी संदेश, हमें इसी संस्कृति के महत्त्वपूर्ण तत्त्वों को याद दिलाता है। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए आत्मानुभूति और आंतरिक शक्ति का महत्व अपार है। यह संदेश हमें यह बताता है कि हमारे जीवन में आध्यात्मिकता और भौतिक समृद्धि का संतुलन रखना कितना महत्त्वपूर्ण है। भागीरथी संदेश के अनुसार, जीवन के महत्वपूर्ण मौकों पर वैदिक ब्राह्मण द्वारा किए गए यज्ञ, दान, और तप से हम अपनी आत्मा को शुद्ध करके और आंतरिक शांति को प्राप्त कर सकते हैं। यह संदेश हमें यह सिखाता है कि आत्मिक और मानसिक शांति को पाने के लिए ध्यान, साधना और आत्मा के साथ संवाद बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। यज्ञ, दान, और तप के माध्यम से हम अपने जीवन में न सिर्फ आत्मिक विकास कर सकते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। भागीरथी संदेश की बात से हम यह समझ���े हैं कि हमारे जीवन में भौतिक और आध्यात्मिक समस्याओं का समाधान यज्ञ, दान, और तप के माध्यम से संभव है। यह एक संदेश है कि हमें आत्मा को प्रशांति और परिपूर्णता की दिशा में ले जाने के लिए वैदिक तत्त्वों का पालन करना चाहिए। भागीरथी संदेश से हमें यह सिखने को मिलता है कि अपने जीवन में आने वाले सभी शुभ अवसरों पर वैदिक ब्राह्मणों द्वारा किए गए यज्ञ, दान, और तप से हम अपनी आत्मा को पावन कर सकते हैं और अपने जीवन की दिव्यता को बढ़ा सकते हैं। यह संदेश हमें जीवन की सभी अवसरों पर ध्यान और संवेदनशीलता से व्यक्तिगत और सामाजिक समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ने का मार्ग दिखाता है।
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shashi15dec · 1 year ago
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Best Tourist Place in India(Vanarsi Uttar Pradesh)
वाराणसी, जिसे काशी और बनारस भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा ��दी के तट पर स्थित एक प्राचीन नगर है। हिन्दू धर्म में यह एक अतयन्त महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, और बौद्ध व जैन धर्मों का भी एक तीर्थ है। हिन्दू मान्यता में इसे "अविमुक्त क्षेत्र" कहा जाता है। वाराणसी संसार के प्राचीन बसे शहरों में से एक है। काशी नरेश वाराणसी शहर के मुख्य सांस्कृतिक संरक्षक एवं सभी धार्मिक क्रिया-कलापों के अभिन्न अंग हैं। वाराणसी की संस्कृति का गंगा नदी एवं इसके धार्मिक महत्त्व से अटूट रिश्ता है। ये शहर सहस्रों वर्षों से भारत का, विशेषकर उत्तर भारत का सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र रहा है। हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत का बनारस घराना वाराणसी में ही जन्मा एवं विकसित हुआ है। भारत के कई दार्शनिक, कवि, लेखक, संगीतज्ञ वाराणसी में रहे हैं, जिनमें कबीर, वल्लभाचार्य, रविदास, स्वामी रामानंद, त्रैलंग स्वामी, शिवानन्द गोस्वामी, मुंशी प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, आचार्य रामचंद्र शुक्ल, पंडित रवि शंकर, गिरिजा देवी, पंडित हरि प्रसाद चौरसिया एवं उस्ताद बिस्मिल्लाह खां आदि कुछ हैं। गोस्वामी तुलसीदास ने हिन्दू धर्म का परम-पूज्य ग्रंथ रामचरितमानस यहीं लिखा था और गौतम बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन यहीं निकट ही सारनाथ में दिया था।
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जीवन शक्ति आयुर्वेदिक दवा: जीवन शक्ति हॉस्पिटल का एक नया पहलुवार
Introduction:
आयुर्वेद, हमारी संस्कृति और परंपराओं का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो हमें प्राकृतिक रूप से स्वस्थ जीने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करता है। जब बात आती है "जीवन शक्ति आयुर्वेदिक दवा" की ( jeevan shakti ayurvedic dawa) , तो यह एक नए और सुधारित स्वास्थ्य सुझाव के साथ आता है। इस लेख में, हम जानेंगे कि जीवन शक्ति हॉस्पिटल के इस नए पहलुवार में हमें कैसा समृद्धि मिल रहा है।
जीवन शक्ति हॉस्पिटल - आयुर्वेद का नया आलम:
"जीवन शक्ति हॉस्पिटल" ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई प्राप्त की है। इसकी विशेषता यहाँ पर "जीवन शक्ति आयुर्वेदिक दवा" के नए और अद्वितीय पहलुओं में है, जिसमें प्राकृतिक उपचारों को मजबूती से शामिल किया गया है।
जीवन शक्ति आयुर्वेदिक दवा - स्वास्थ्य का सफल और सांपूर्ण सुधार:
"जीवन शक्ति आयुर्वेदिक दवा" एक नया परिप्रेक्ष्य प्रदान करती है जो आयुर्वेद के शास्त्रीय और सांप्रदायिक तत्वों को मिलाकर बनाई गई है। यहाँ पर उपलब्ध दवाएं और उपचार विशेषज्ञ चिकित्सकों के नेतृत्व में बनाई गई हैं जो रोग का समूल और स्थायी इलाज करने के लिए तैयार हैं।
जीवन शक्ति हॉस्पिटल - सेवाओं का केंद्र:
यहाँ पर उपलब्ध आयुर्वेदिक दवाओं की श्रेणी विवेचनीय है, जो स्वस्थ जीवनशैली की ओर एक कदम बढ़ाती हैं। "जीवन शक्ति हॉस्पिटल" की सजग और अनुभवी चिकित्सक दल ने इसे एक स्वास्थ्य स्थल के रूप में स्थापित किया है जो आयुर्वेदिक दवा के क्षेत्र में एक नया परिचय प्रदान करता है।
निष्कर्ष:
"जीवन शक्ति आयुर्वेदिक दवा" और "जीवन शक्ति हॉस्पिटल" ने मिलकर एक नये स्वास्थ्य संस्कृति की शुरुआत की है। आयुर्वेद के उपचारों के माध्यम से यहाँ पर स्वस्थ जीवन की ओर एक कदम बढ़ाया जा रहा है जो प्राकृतिक, सांपूर्ण और सुरक्षित है। "जीवन शक्ति हॉस्पिटल" ने एक नये स्वास्थ्य दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है जो लोगों को प्राकृतिक और संवैधानिक इलाजों की ओर प्रेरित कर रही है।
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helputrust · 1 year ago
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नवनिर्मित संसद भवन देश की आधुनिक धरोहर - हर्ष वर्धन अग्रवाल
उत्तर प्रदेश में उत्पन्न कत्थक नृत्य है हमारे प्रदेश का गौरव - डॉ रूपल अग्रवाल
लखनऊ, 28.05.2023 | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट, संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार व उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंन्द्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में, सांस्कृतिक कार्यक्रम “धरोहर” थीम के अंतर्गत "श्री राम कथा एवं कृष्ण लीला : कत्थक नृत्य" का आयोजन सी एम एस ऑडिटोरियम, सिटी मोंटेसरी स्कूल, विशाल खंड, गोमती नगर, लखनऊ में किया गया । सांस्कृतिक कार्यक्रम धरोहर के तहत ध्वनि फाउंडेशन द्वारा श्री राम कथा एवं कृष्ण लीला पर कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया गया| भारतीय सभ्यता और संस्कृति को समर्पित इस कार्यक्रम में कुशल एवं अनुभवी कलाकारों द्वारा भगवान राम ��र भगवान श्री कृष्ण की जीवन लीलाओं को कथक नृत्य द्वारा प्रस्तुत किया गया जिसमें सर्वप्रथम गणेश वंदना की प्रस्तुति दी गई तत्पश्��ात राम प्रसंग, राम भजन, विष्णु दशावतार, महाभारत, कृष्ण ठुमरी, राम ठुमरी प्रस्तुत की गयी |
कार्यक्रम का शुभारम्भ राष्ट्रगान से हुआ तत्पश्चात हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम० पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, श्री एम०पी० सिंह, श्री विनय त्रिपाठी, प्रोफ़ेसर राज कुमार सिंह, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी, द्वारा दीप प्रज्जवलन किया गया ।
सभागार में उपस्थित सभी अतिथिगणों का स्वागत करते हुऐ हर्ष वर्धन अग्रवाल ने कहा कि आज का दिन देश व देशवासियों के लिए गौरव का दिन है जब देश में नए संसद भवन को माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने देश को समर्पित किया है | कहना उचित होगा कि नए विकसित भारत की शुरुआत माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कर दी जिसकी आधारशिला नया संसद भवन है | नवनिर्मित संसद भवन देश की आधुनिक धरोहर है । हम सब मिलकर माननीय प्रधानमंत्री जी का आभार व्यक्त करते है | आज का यह कार्यक्रम संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र (NCZCC) के संयुक्त तत्वावधान में धरोहर थीम के अंतर्गत आयोजित किया जा रहा है I जिसमें श्री राम कथा एवं कृष्ण लीला पर कत्थक नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा | हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा धरोहर थीम के अंतर्गत 28.04.2023 को लोक नृत्य व नृत्य नाटिका राम भी रहीम भी, अवधी नृत्य नाटिका वैदेही के राम, महारास, राजस्थानी लोक नृत्य घूमर, का प्रस्तुतीकरण किया गया था तथा दिनांक 07.05.2023 को काकोरी ट्रेन एक्शन नाटक का मंचन किया गया था | इसी कड़ी में आज यह कत्थक नृत्य आप सबके समक्ष प्रस्तुत किया जा रहा है | माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के मूल मंत्र "सबका साथ, सबका विकास, सबका प्रयास, सबका विश्वास" एवं "आत्मनिर्भर भारत" का अनुसरण करते हुए हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट निरंतर ही जनहित के कार्यों में लगा हुआ है | ट्रस्ट द्वारा समय-समय पर विभिन्न महत्वपूर्ण दिवसों पर अनेक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमो के द्वारा विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता एवं जनहित में वस्त्र दान, रक्तदान और शिक्षा दान की अपील भी की जा रही है | महिला सशक्तिकरण के अंतर्गत ट्रस्ट द्वारा निःशस्त्र आत्मरक्षा कला प्रशिक्षण कार्यशाला, सिलाई कौशल प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है | साथ ही आगामी 01 जून 2023 से नि:शुल्क पाककला प्रशिक्षण कार्यशाला का भी आयोजन किया जाएगा जिसके अंतर्गत कटहल से 25 प्रकार के व्यंजन बनाने सिखाए जाएंगे | आप सभी के सहयोग एवं विश्वास के साथ ट्रस्ट समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाने हेतु प्र��िबद्ध है | ट्रस्ट द्वारा वर्ष 2012 से आयोजित किये गए सभी कार्यक्रमों का वीडियो ट्रस्ट के यूट्यूब चैनल हेल्प यू ट्रस्ट पर उपलब्ध है | आप ट्रस्ट के यूट्यूब चैनल को सब्सक्राइब करके हमारे द्वारा आयोजित सभी कार्यक्रमों की वीडियो देख सकते हैं | सिटी मोंटेसरी स्कूल के संस्थापक परम आदरणीय डॉ जगदीश गाँधी जी का आभार है कि उन्होंने यह सभागार कार्यक्रम आयोजन के लिए उपलब्ध कराया | गाँधी जी हमेशा जनहित तथा साम���जिक कार्यों के लिए तैयार रहते है | शेरवूड कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट के अध्यक्ष श्री के.बी. लाल जी का आभार है कि उन्होंने कार्यक्रम के सफल संचालन के लिए अपने कॉलेज के छात्र उपलब्ध कराये |
हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट की न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल ने कहा कि, "शास्त्रीय नृत्य की बात आती है तो उत्तर प्रदेश से उत्पन्न हुई कथक नृत्य कला का नाम अवश्य लिया जाता है। कथक भारत के उन चुनिंदा शास्त्रीय नृत्यों में से एक है जिसे सीखने के लिए दुनियाभर से लोग भारत आते हैं और इसकी सराहना करते हैं । आज हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में हम माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के "उत्तर प्रदेश उत्तम प्रदेश" के मंत्र को साकार करते हुए उत्तर प्रदेश से उत्पन्न हुए कत्थक नृत्य के द्वारा भारत की वैभवशाली सभ्यता और संस्कृति को नमन करते हैं तथा उसे हमेशा सहेज कर रखने का संकल्प लेते हैं |"
सांस्कृतिक कलाकारों रिचा तिवारी, अनुराधा यादव, आरती शुक्ला, मलखान सिंह एवं निधि निगम ने कत्थक नृत्य द्वारा भगवान श्री राम जी के आदर्श चरित्र, अलौकिक आचरण और व्यक्तित्व की झांकी दिखाई तथा यह बताया कि श्रीराम के सिद्धांत इस समय में बहुत जरूरी है तथा यह इस समय की पुकार है कि प्रभु राम धर्म की स्थापना करने के लिए फिर से अवतार लें | भगवान श्री कृष्ण की जीवन लीला को नृत्य द्वारा प्रस्तुत करते हुए कलाकारों ने उनकी बाल लीलाओं के साथ-साथ उनके प्रेम व धर्म परायणता को भी परिलक्षित किया | सभी कलाकारों को उनकी कुशल प्रस्तुति हेतु हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ रूपल अग्रवाल व ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्यों द्वारा प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया |
कार्यक्रम के अंत में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के आंतरिक सलाहकार समिति के सदस्य श्री महेंद्र भीष्म ने सभी का धन्यवाद व आभार व्यक्त किया | कार्यक्रम का संचालन डॉ अलका निवेदन ने किया I
कार्यक्रम में हेल्प यू एजुकेशनल एंड चैरिटेबल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी श्री हर्ष वर्धन अग्रवाल, न्यासी डॉ० रूपल अग्रवाल तथा ट्रस्ट की आतंरिक सलाहकार समिति के सदस्यगण डॉ राजेंद्र प्रसाद, डॉ संतोष कुमार श्रीवास्तव, श्री एम०पी० अवस्थी, श्री अशोक कुमार जायसवाल, श्री एम०पी० सिंह, श्री विनय त्रिपाठी, प्रोफ़ेसर राज कुमार सिंह, डॉ अलका निवेदन, श्री पंकज अवस्थी तथा शहर के गणमान्य लोगों की उपस्थिति रही |
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mewaruniversity · 3 months ago
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#Mewar_University_In_Media :: सत्रीय नृत्य में रंगरुपा बोरा ने सभी का दिल जीता
नई दिल्ली में 8 जुलाई से 2 अगस्त के बीच सत्रीय केंद्र, गुवाहाटी ऑफ संगीत नाटक अकादमी द्वारा सत्रीय नृत्य पर आधारित एक वर्कशॉप आयोजित की गई। यह संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय का एक स्वायत निकाय है। इसमें मेवाड़ यूनिवर्सिटी के नृत्य विभाग के सत्रीय विद्या की स्टूडेंट रंगरुपा बोरा ने भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर वहां मौजूद सभी लोगों का दिल जीत लिया।
मेवाड़ विश्वविद्यालय की कला एवं संस्कृति विभाग की महानिदेशिका प्रो. (डॉ.) चित्रलेखा सिंह ने बताया कि संगीत नाटक अकादमी दिल्ली के सचिव राजू दास ने स्टूडेंट को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया। इस वर्कशॉप में असम राज्य के विभिन्न सांस्कृतिक संगठनों ने हिस्सा लिया था। मेवाड़ यूनिवर्सिटी के चेयरपर्सन डॉ. अशोक कुमार गदिया और कुलपति प्रो. (डॉ.) आलोक मिश्रा ने उनके वर्कशॉप मे प्रतिभाग करने और प्रमाण पत्र प्राप्त करने पर उन्हें बधाई दी। विशेष जानकारी यह है कि सत्रीय विद्या का शास्त्रीय नृत्य केवल भारत में मेवाड़ विश्वविद्यालय में सिखाया जाता है। जानकारी के मुताबिक सत्रीय नृत्य असम का शास्त्रीय नृत्य है और यह आठ मुख्य भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपराओं में से एक है।
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sagar-jaybhay · 1 year ago
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Best Award Of Scholarships To Young Artists In Different Cultural Fields 18 Nov 2023
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Award Of Scholarships To Young Artists In Different Cultural Fields
विवरण (Details)
संस्कृति मंत्रालय के द्वारा शुरू किया गया युवा कलाकारों को विभिन्न सांस्कृतिक क्षेत्रों में छात्रवृत्ति प्रदान करने की योजना नामक "युवा कलाकारों को पुरस्कार" के अंतर्गत, भारत सरकार द्वारा शुरू की गई है। यह योजना उत्कृष्ट प्रतिभा वाले युवा कलाकारों को भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय शास्त्रीय नृत्य, थिये���र, माइम, दृश्य कला, लोक, पारंपरिक और आदिवासी कलाओं, और लाइट शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में भारत में उन्नत प्रशिक्षण प्रदान करने का प्रयास करती है। छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित क्षेत्रों में छात्रवृत्ति प्रदान की जा सकती है (Subjects/Fields in which Scholarships can be awarded) - भारतीय शास्त्रीय संगीत - शास्त्रीय हिंदुस्तानी संगीत (वोकल और इंस्ट्रुमेंटल), शास्त्रीय कर्नाटक संगीत (वोकल और इंस्ट्रुमेंटल, आदि) - भारतीय शास्त्रीय नृत्य/नृत्य संगीत - भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ि, कथकली, मोहिनीअट्टम, ओडिसी नृत्य/ संगीत, मणिपुरी नृत्य/संगीत, थांगता, गौड़िया नृत्य, छौ नृत्य/संगीत, सतरीया नृत्य। - थियेटर - थियेटर कला के किसी विशेषित पहलू, जैसे अभिनय, निर्देशन, आदि, लेकिन प्लेव्राइटिंग और रिसर्च बाहर है। माइम। - दृश्य कला - ग्राफिक्स, स्कल्प्चर, पेंटिंग, क्रिएटिव फोटोग्राफी, पॉटरी और सिरेमिक्स, आदि। - लोक, पारंपरिक और आदिवासी कलाएं - पप्पेट्री, लोक थियेटर, लोक नृत्य, लोक गीत, लोक संगीत, आदि। - लाइट शास्त्रीय संगीत - a) ठुमरी, दादरा, तप्पा, कव्वाली, ग़ज़ल, b) कर्नाटक स्टाइल पर आधारित लाइट शास्त्रीय संगीत, आदि। c) रवींद्र संगीत, नज़रूल गीति, अतुलप्रसाद। छात्रवृत्ति की शर्तें (Terms of Scholarship) - प्रत्येक छात्र को दो वर्ष के लिए प्रति माह ₹5000/- दिया जाएगा, ताकि उनका आवास, यात्रा, किताबें, कला सामग्री, या अन्य सामग्री और शिक्षा या प्रशिक्षण शुल्क, यदि हो, ये सभी सामग्रियों पर खर्च किया जा सके। - छात्रवृत्तियाँ भारतीय शास्त्रीय संगीत, क्लासिकल नृत्य, लाइट क्लासिकल संगीत, थियेटर, दृश्य कला, और लोक/ पारंपरिक और आदिवासी कलाओं में प्रदान की जाती हैं। योग्यता (Eligibility) - आवेदक भारतीय नागरिक होना चाहिए। - आवेदक को अपने प्रशिक्षण को प्रभावी ढंग से जारी रखने के लिए पर्याप्त सामान्य शिक्षा होनी चाहिए। - छात्रवृत्ति प्राप्त करने की इच्छा का सबूत देना होगा। - छात्रों को पहले से ही चुने गए क्षेत्र में योग्यता होनी चाहिए, क्योंकि छात्रवृत्ति उन्नत प्रशिक्षण के लिए है और नौसिखिए के लिए नहीं। - आवेदक को अपने गुरु/संस्थान के साथ 5 वर्षों की न्यूनतम प्रशिक्षण देना चाहिए। आवेदन के साथ पेश करने के लिए वर्तमान गुरु/संस्थान और पूर्व गुरु/संस्थान (यदि कोई है) द्वारा स्वाक्षरित प्रमाणपत्र देना चाहिए। - आवेदक को संबंधित कला/विषय की पर्याप्त जानकारी होनी चाहिए। - आवेदक की आयु 18 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए, जो 1 अप्रैल को आवेदन किया जा रहा है। आयु में छूट नहीं दी जाएगी। आवेदन प्रक्रिया (Application Process) ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया: - केंद्रीय सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण (सीसीआरटी), नई दिल्ली द्वारा आवेदन आमंत्रित करने वाले विज्ञापन का जारी किया जाएगा। - आवेदकों को मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध सीएसएमएस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करने की आवश्यकता होगी। - आवेदक को आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर "MOC स्कीम आवेदन" पर क्लिक करना होगा। - पंजीकरण पर क्लिक करें और पंजीकरण फॉर्म भरें। - लॉगिन के लिए उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड प्राप्त करें। - वर्तमान योजना स्थिति पर जाएं और उपयुक्त योजना पर क्लिक करें। - फॉर्म भरें और इसे सबमिट करें। आवेदन के पश्चात प्रक्रिया (Post-Application Process) - सीएसएमएस पोर्टल पर एनआईसी द्वारा उपलब्ध सॉफ़्टवेयर के माध्यम से संवीक्षा प्रक्रिया के बाद छानी गई उम्मीदवारों को संस्कृति मंत्रालय द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति के समक्ष साक्षात्कार/परीक्षा के लिए बुलाया जाता है। - उम्मीदवारों को विशेषज्ञ समिति के समक्ष साक्षात्कार/प्रदर्शन के लिए उपस्थित होना होगा। साक्षात्कार/प्रदर्शन की तारीख, समय, और स्थान को उम्मीदवार द्वारा ऑनलाइन आवेदन में दिए गए ईमेल के माध्यम से सूचित किया जाएगा। चयन केवल मेरिट पर होगा। - सिफारिश योग्य उम्मीदवारों की सूची संस्कृति मंत्रालय को भेजी जाती है और मंजूरी के बाद, चयनित उम्मीदवारों को पोस्ट द्वारा एक पुरस्कार पत्र और ईमेल द्वारा चयन की सूची भी सीसीआरटी की वेबसाइट और संस्कृति मंत्रालय पर अपलोड की जाती है। पते में कोई भी परिवर्तन मंत्रालय को लिखित रूप में दिया जा सकता है। ऐसा करते समय प्रशिक्षण का विषय/क्षेत्र, फ़ाइल नंबर (यदि कोई हो) अवश्य दिया जाना चाहिए। यदि उम्मीदवार किसी से अधिक क्षेत्र के लिए आवेदन करना चाहते हैं तो प्रत्येक क्षेत्र के लिए अलग-अलग ऑनलाइन आवेदन प्रस्तुत करना चाहिए। Note संपर्क विवरण(Contact Details) अनुभाग अधिकारी (एस एंड एफ सेक्शन), कक्षा संख्या 211, 2वीं मंजिल, पुरातत्व भवन, डी ब्लॉक, जीपीओ कॉम्प्लेक्स, आईएनए, नई दिल्ली-110023 पर फोन नंबर 011-24642157 ई-मेल के माध्यम से: [email protected] निदेशक, केंद्रीय सांस्कृतिक संसाधन और प्रशिक्षण, 15-ए, सेक्टर-7, द्वार��ा, नई दिल्ली-110075 फोन नंबर: 011- 25309300 extns. 319, 331, 337, और 338; 011-25074256, 25309395, 25309338 और 25088638। ई-मेल के माध्यम से: [email protected] आवश्यक दस्तावेज़ (Documents Required) - पहचान प्रमाण - शैक्षिक योग्यताओं (डिग्री, डिप्लोमा, आदि), - अनुभव आदि की एक स्व-प्रमाणित प्रति की एक कॉपी। - मैट्रिक या समकक्ष प्रमाणपत्र या आयु के अन्य स्वीकार्य साक्ष्य की एक स्व-प्रमाणित प्रति। - एक पासपोर्ट साइज़ हाल की तस्वीर। - बैंक खाता विवरण जाति प्रमाण पत्र (यदि लागू हो) निवास प्रमाण (यदि लागू हो) पेंटिंग, स्कल्प्चर और एप्लाइड आर्ट्स के क्षेत्र में छात्रावास के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को मौलिक कामों की तस्वीरों की स्व-प्रमाणित प्रतियां लानी होगी। - दृष्टिकोण कला के लिए न्यूनतम योग्यता बीएफए या समकक्ष है। - जैसा कि छात्रवृत्तियों को उन्नत प्रशिक्षण के लिए प्रदान किया जाता है, उम्मीदवारों को अपने गुरुओं/संस्थानों के साथ कम से कम 5 वर्षों की प्रशिक्षण करना चाहिए। - इस प्रभाव से हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र को इस प्रभाव के वर्तमान गुरु/संस्थान और पूर्व गुरु/संस्थान (यदि कोई हो) द्वारा साथ में जमा किया जाना चाहिए। To Read More Schemes Visits Only on majornewshub.com Read the full article
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seoasraful · 1 year ago
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भावनाओं की गहराइयो��� की खोज: दुखद शायरी की दुनिया
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कविता के विशाल क्षेत्र में, कुछ विधाएँ सैड शायरी जितनी मार्मिक और विचारोत्तेजक हैं। उर्दू साहित्य की समृद्ध टेपेस्ट्री से उत्पन्न, सैड शायरी काव्यात्मक अभिव्यक्ति का एक रूप है जो मानवीय भावनाओं की गहराई में उतरती है, दुःख, दिल टूटने और उदासी की जटिलताओं को पकड़ती है। अपने प्रभावशाली छंदों और गहन रूपकों के माध्यम से, सैड शायरी ( Sad Shayari ) टूटे हुए दिलों को सांत्वना प्रदान करती है और उदास आत्माओं को प्रतिध्वनित करती है।
ऐतिहासिक जड़ें और सांस्कृतिक महत्व:
उर्दू और फ़ारसी कविता की शास्त्रीय परंपराओं में गहराई से निहित दुखद शायरी, सदियों से दक्षिण एशियाई संस्कृति का एक अभिन्न अंग रही है। इसकी उत्पत्ति का पता मध्यकालीन युग में लगाया जा सकता है जब मीर तकी मीर और ग़ालिब जैसे कवियों ने ऐसी कविताएँ लिखीं जो उनकी गहरी उदासी और भावनात्मक गहराई से आत्मा को छू गईं। पिछले कुछ वर्षों में, सैड शायरी इस क्षेत्र की साहित्यिक विरासत का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गई है, जो कवियों और उत्साही लोगों की पीढ़ियों को समान रूप से प्रेरित कर रही है।
निराशा की भाषा:
सैड शायरी को जो चीज़ अलग करती है, वह है निराशा की भाषा को व्यक्त करने की इसकी क्षमता। मानवीय पीड़ा की जटिलताओं को व्यक्त करने के लिए कवि ज्वलंत कल्पना, रूपकों और रूपक अभिव्यक्तियों का उपयोग करते हैं। हर पंक्ति को दिल टूटने की तीव्र भावनाओं और अधूरे प्यार की पीड़ा को समाहित करने के लिए सावधानीपूर्वक तैयार किया गया है। सैड शायरी की सुंदरता दर्द को कला में बदलने की क्षमता में निहित है, जो उदासीन छंदों के साथ प्रतिध्वनित होने वाले लोगों के लिए रेचन और जुड़ाव की भावना दोनों प्रदान करती है।
सैड शायरी ( Sad Shayari ) भौमिक विषय:
सैड शायरी की स्थायी लोकप्रियता का एक कारण दुःख के सार्वभौमिक विषयों की खोज करना है। सांस्कृतिक या भाषाई भिन्नताओं के बावजूद, मानवीय भावनाएँ उल्लेखनीय रूप से समान रहती हैं। खोए हुए प्यार का दर्द, अलगाव की पीड़ा और जीवन के दिल दहला देने वाले अनुभव ऐसी भावनाएँ हैं जिनसे हर कोई किसी न किसी स्तर पर जुड़ सकता है। दुखद शायरी एक दर्पण के रूप में कार्य करती है, जो इन साझा भावनाओं को प्रतिबिंबित करती है और पाठकों को उनके दुखों को समझने और कम अकेला महसूस कराती है।
शब्दों के माध्यम से उपचार:
सैड शायरी कवियों और पाठकों दोनों के लिए एक चिकित्सीय आउटलेट के रूप में कार्य करती है। इन मार्मिक छंदों को लिखने और पढ़ने से व्यक्तियों को अपनी भावनाओं का सामना करने, अपने दर्द को समझने और अपनी अंतरतम भावनाओं की अभिव्यक्ति में आराम पाने का मौका मिलता है। कवियों के लिए, यह उनके राक्षसों को भगाने का एक माध्यम प्रदान करता है, व्यक्तिगत पीड़ा को कला के एक काम में बदल देता है जो दूसरों के साथ प्रतिध्वनित होता है। पाठकों के लिए, यह एक अभयारण्य प्रदान करता है जहां वे छंदों की उदास सुंदरता में डूब सकते हैं, मानवीय दुःख के साझा अनुभव में सांत्वना पा सकते हैं।
डिजिटल युग और दुखद शायरी:
प्रौद्योगिकी और सोशल मीडिया के युग में, सैड शायरी को अभिव्यक्ति और जुड़ाव के लिए एक नया मंच मिल गया है। इंस्टाग्राम, ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म दुनिया भर के कवियों और उत्साही लोगों द्वारा साझा की गई हार्दिक शायरी से भरे हुए हैं। इन डिजिटल स्थानों ने काव्यात्मक उदासी के प्रति अपने प्रेम से बंधे व्यक्तियों का एक वैश्विक समुदाय बनाया है। हैशटैग और ऑनलाइन समुदायों के माध्यम से, लोगों को इस ज्ञान में आराम मिलता है कि वे अपने दुख में अकेले नहीं हैं, दूसरों के साथ संबंध बनाते हैं जो उनके दर्द को समझते हैं।
निष्कर्ष के तौर पर:
दुखद शायरी, अपनी गहरी भावनात्मक गूंज और कालातीत सुंदरता के साथ, दुनिया भर के कविता प्रेमियों के दिलों में अपना जादू बिखेरती रहती है। यह मानव आत्मा को ठीक करने, जोड़ने और उत्थान करने के लिए शब्दों की स्थायी शक्ति का एक प्रमाण है। जब तक दिल दुखते हैं और आत्माएं तरसती हैं, तब तक दुखद शायरी सांत्वना की किरण बनी रहेगी, जो हमें दुख के साझा मानवीय अनुभव और काव्य अभिव्यक्ति की कला में पाई जाने वाली स्थायी ताकत की याद दिलाती रहेगी।
कृपया यहां जाएँ: https://www.shayari.tech/sad-shayari अधिक जानकारी के लिए
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Title: Nitin Singhania Audiobook- Audicate
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शीर्षक: "भारतीय सांस्कृतिक वस्तुकला का पर्दाफाश करना": नितिन सिंहानिया के "भारतीय कला और संस्कृति" का अन्वेषण
प्रस्तावना
भारत की धनी और विविध सांस्कृतिक धरोहर हमेशा से दुनिया भर के लोगों के लिए आकर्षण और रहस्य का विषय रहा है। उन लोगों के लिए जो UPSC सिविल सेवा जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, भारतीय कला और संस्कृति को समझना केवल रुचि का मामला नहीं है, बल्कि पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। नितिन सिंहानिया की "भारतीय कला और संस्कृति" एक व्यापक मार्गदर्शक है जो इस यात्रा को रोचक और पहुँचने योग्य बनाता है। इसका और भी सुविधाजनक है कि Audicate ऐप पर ऑडियोबुक संस्करण की उपलब्धता है।
भारतीय कला और संस्कृति के गहरे खंड की खोज
नितिन सिंहानिया की पुस्तक केवल तथ्यों का संग्रह नहीं है; यह भारत की कला और सांस्कृतिक धन की रोचक खोज है। आइए जानते हैं कि "भारतीय कला और संस्कृति" को कला प्रेमियों, इतिहास प्रेमियों और परीक्षा उम्मीदवारों के लिए एक अनिवार्य स्रोत बनाने वाले मुख्य विशेषताएँ क्या हैं:
व्यापक कवरेज: पुस्तक प्राचीन से आधुनिक समय तक भारत की कला, संस्कृति, और धरोहर की व्यापक कवरेज प्रदान करती है। इसमें शास्त्रीय नृत्य रूप, वास्तुकला, मूर्तिकला, चित्रकला, और बहुत कुछ जैसे विषयों पर विचार किया गया है।
संरचित दृष्टिकोण: सिंहानिया ने सामग्री को एक संरचित और पाठक मित्रपूर्ण तरीके से व्यवस्थित किया है, जिससे पाठकों को भारतीय कला और संस्कृति की जटिल दुनिया में फिरने में आसानी होती है।
चित्रण और फ़ोटोग्राफ़्स: पुस्तक छवियों, फोटोग्राफ़्स, और डायग्रामों से भरपूर है जो समझ में मदद करते हैं। ये दृष्टिगोचर सहायक उपकरण हैं जो पुस्तक में वर्णित कला रूप और वास्तुकला के चमत्कारों को जीवंत करते हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ: सिंहानिया हर आर्ट फ़ॉर्म के लिए ऐतिहासिक संदर्भ प्रदान करते हैं, जिससे पाठकों को विभिन्न सांस्कृतिक तत्वों की विकास और महत्व को समझने में मदद मिलती है।
वर्तमान महत्व: इसके बावजूद कि पुस्तक भारतीय कला और संस्कृति की इतिहासिक और सांस्कृतिक गुफाएं खोजती है, यह पुस्तक यह भी दिखाती है कि ये परंपराएँ समकालीन भारत में भी महत्वपूर्ण हैं।
ऑडियोबुक संस्करण के लिए क्यों चुनें?
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निष्कर्षण
नितिन सिंहानिया की "भारतीय कला और संस्कृति" केवल एक पुस्तक नहीं है; यह भारतीय धरोहर की मोहक दुनिया का एक दरवाजा है। Audicate पर इसके ऑडियोबुक संस्करण का पहुँचना और भारतीय कला, संस्कृति, और धरोहर की अधिक पहु
ँचने और समझने के लिए, आप एक और सुविधाजनक तरीके से सांस्कृतिक अध्ययन की यात्रा पर निकल सकते हैं। चाहे आप प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के लिए तैयारी कर रहे हों, कला के प्रति अपनी रुचि को बढ़ा रहे हों, या सिर्फ भारत के कला के ��न के प्रेमी हों, यह पुस्तक एक अमूल्य स्रोत है।
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sharpbharat · 1 year ago
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tata steel foundation musical night - टाटा स्टील फाउंडेशन ने क्लासिकल म्यूजिकल नाइट स्वरागिनी का किया आयोजन, संगीत और नृत्य पर झुमे लोग
जमशेदपुर : टाटा स्टील फाउंडेशन (टीएसएफ) ने कला उद्यान, जमशेदपुर के सहयोग से शुक्रवार को जमशेदपुर के साकची स्थित मोतीलाल नेहरू पब्लिक स्कूल ऑडिटोरियम में क्लासिकल म्यूजिक नाइट-स्वरागिनी का आयोजन किया. इस आयोजन का उद्देश्य जमशेदपुर के युवाओं के बीच कला और संस्कृति को बढ़ावा देना और संरक्षित करना था. टीएसएफ कई वर्षों से अपने 12 कम्युनिटी सेंटर्स में विभिन्न शास्त्रीय नृत्य और संगीत कक्षाएं चला रहा…
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